पंचतंत्र

बगुला और केंकड़ा

किसी तालाब के निकट एक बगुला रहता था। बगुला बहुत बूढ़ा हो चुका था और उसके लिए एक मछली पकड़ना भी मुश्किल काम हो गया था। बगुला कोई ऐसा उपाय सोच रहा था ताकि उसे रोज की खुराक मिल सके। अचानक उसके दिमाग की बत्ती जल गई।

बगुला तालाब के किनारे ऐसे बैठ गया जैसे बहुत उदास हो। जब कुछ मछलियों ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो वह जोर-जोर से रोने लगा। उसने कहा कि एक महान ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की है कि जल्दी ही उस तालाब के जीवों के लिए बड़ा ही भयंकर प्रलय आने वाला है। उसने कहा कि बड़ा भारी सूखा पड़ने वाला है जिससे वह तालाब सूख जाएगा। इससे उस तालाब के सारे जीव मर जाएंगे।

cunning crane and crab

बगुले की बात सुनने के लिए तालाब की सभी मछलियाँ, केंकड़े, मेंढक, आदि वहाँ इकट्ठे हो गए। उन्होंने बगुले से पूछा, “तुम बुजुर्ग होने के कारण बहुत बुद्धिमान हो। क्या तुम हमारी जान बचाने का कोई रास्ता बता सकते हो?” बगुले ने कहा कि वह हमेशा आकाश में उड़ता है इसलिए वह उस जंगल के कई तालाबों के बारे में जानता है। उसने बताया कि वह एक तालाब के बारे में जानता है जो इतना विशाल है कि भयानक से भयानक सूखे में भी सूखेगा नहीं। उसने कहा कि वह समय रहते ही उन जीवों को अपनी पीठ पर बैठाकर उस तालाब तक पहुंचा सकता है। उसने कहा कि उस तालाब से उसे बहुत कुछ मिला है और इस अहसान का बदला चुकाने का उसके पास यह सुनहरा मौक़ा है। सभी मछलियाँ, केंकड़े, मेंढक, आदि बगुले की बात से राजी हो गए।

इस तरह से बगुले के अच्छे दिन फिर से वापस आ गए। हर दिन वह एक मछली को अपनी पीठ पर बैठाकर ले जाने लगा। लेकिन उन्हें किसी बड़े तालाब में ले जाने की बजाय वह बीच रास्ते में ही चट कर जाता था।

एक दिन, बगुले ने सोचा कि मछलियाँ खा-खाकर मन ऊब चुका है; मुंह का स्वाद बदलने के लिए कुछ और खाया जाए। इस बार उसने एक केंकड़े को अपनी पीठ पर बिठा लिया। केंकड़ा ख़ुशी-ख़ुशी बगुले पर सवार हो गया। जब बगुला हवा से बातें कर रहा था, तो केंकड़ा जंगल का विशाल रूप देखकर अचंभित हो गया। जब वह उस दृश्य का आनंद ले रहा था तभी उसकी नजर मछली की हड्डियों के एक बड़े से ढेर पर पड़ी। उसने बगुले से उस ढेर के बारे में पूछा तो बगुले ने उसे असल बात बता दी और कहा, “अब तुम अपने भगवान को याद कर लो क्योंकि अब मैं तुम्हे खाने वाला हूँ।” केंकड़ा बड़ा ही फुर्तीला था। उसने अपने मजबूत पंजों से बगुले की गर्दन मरोड़ दी जिससे वह बगुला भगवान को प्यारा हो गया। इस प्रकार से उस लालची बगुले का अंत हो गया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अफवाहों पर ध्यान देने की बजाय हमें सच का पता लगाना चाहिए।