पंचतंत्र

सियार और ढोल

एक सियार था जो बहुत भूखा था। भोजन की तलाश में भटकते-भटकते वह ऐसी जगह पर पहुंचा जहां कभी युद्ध का मैदान हुआ करता था। वहां पर जंग लगे हथियार, टूटे हुए रथ, फूटे ढोल, और मनुष्यों और जानवरों की हड्डियां बिखरी पड़ी थी। उस कूड़े में ही वह सियार खाने लायक कोई चीज ढूंढ रहा था। अचानक उसे एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। पहले तो वह डरकर एक झाडी में छुप गया। थोड़ी देर बाद उसने हिम्मत जुटाई और आवाज की दिशा में दबे पाँव बढ़ा।

jackal with drum

जब सियार वहां पहुंचा तो उसकी जान में जान आई। वह आवाज एक ढोल से आ रही थी। एक पेड़ से लटकी लताएं हवा से हिलकर उस ढोल से टकरा रहीं थी और ढोल बज रहा था। सियार ने भी कुछ देर ढोल को बजाने का मजा लिया। फिर उसने कुछ खाना मिलने की उम्मीद में उस ढोल को फाड़ दिया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि किसी परिस्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया करने की बजाय हमें धीरज से काम लेकर उसके कारण और परिणाम का पता लगाना चाहिए।