8 हिंदी वसंत


यह सबसे कठिन समय नहीं

जया जादवानी

नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
अभी भी दबा है चिड़िया की
चोंच में तिनका
और वह उड़ने की तैयारी में है!
अभी भी झरती हुई पत्ती
थामने को बैठा है हाथ एक

इस कविता में कवि ने विषम परिस्थितियों में भी हार न मानने का संदेश दिया है। कहा जाता है कि जब सारे रास्ते बंद हो गये से लगते हैं तब भी कोई न कोई रास्ता बचा रहता है। इस कविता में कवि ने साधारण से उदाहरणों से यह बताने की कोशिश की है कि उम्मीद की किरण हमेशा बची रहती है। भयंकर तूफान के बाद की तबाही के बाद भी चिड़िया इतना हिम्मत करती है कि तिनके को चोंच में दबाकर उड़ जाती है ताकि नये सिरे से अपना घोसला बना सके। पतझड़ के बाद भी ऐसा नहीं है कि जंगल खाली हो गया है। अभी भी कोई न कोई है जो झरती हुई पत्ती को उठाकर उसमें कुछ उपयोगिता तलाश लेगा।

अभी भी भीड़ है स्टेशन पर
अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है
गंतव्य तक
जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक्त हो गया

वक्त कितना भी खराब हो जाये लेकिन स्टेशन पर लोगों की भीड़ मिल ही जाती है, क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि कोई न कोई रेलगाड़ी उन्हें अपने मंजिल तक जरूर पहुँचाएगी। उस मंजिल पर जहाँ कोई उनका इंतजार कर रहा होगा। कोई यह आवाज लगा रहा होगा कि जल्दी आ जाओ अब सूरज डूबने का वक्त हो गया है। जब बच्चे बाहर खेल रहे होते हैं तो उनकी माँ सूरज ढ़लने के वक्त उन्हें आवाज लगाकर जरूर बुलाती है। जब कोई व्यक्ति बाहर किसी काम के लिए निकला होता है तो उसके घरवाले उसका इंतजार जरूर करते हैं। इस इंतजार में मानव रिश्तों की मजबूत बुनियाद होती है जो किसी भी व्यक्ति को रोज काम पर निकलने और फिर घर लौटने के लिए प्रचुर मनोबल देती है।

अभी कहा जाता है
उस कथा का आखिरी हिस्सा
जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से
दुनिया के तमाम बच्चों को
अभी आती है एक बस
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
लाएगी बचे हुए लोगों की खबर!
नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं।

जब लगता है कि सबकुछ खत्म होने वाला है तो वह वक्त किसी कहानी या सिनेमा के क्लाइमैक्स की तरह होता है। यही वह समय होता है जब किसी कहानी का आखिरी हिस्सा बयाँ किया जाता है। जब लगता है कि खलनायक सबको परास्त करके एक विजयी अट्टहास लगायेगा तभी नायक एक झटके में बाजी पलट देता है और बुराई पर अच्छाई की विजय होती है। इसलिए हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। कहा जाता है कि हर काली रात के बाद सबेरा ही होता है।