लाल फूल की चोरी
हिंदी अनुवाद
अजय आनंद
मोगली जंगल में बहुत दूर की दौड़ लगा चुका था। उसका दिल अंदर तक दुखी था। शाम का कोहरा पहाड़ियों को ढ़क रहा था। वह गुफा तक आया, एक गहरी साँस ली और नीचे घाटी की ओर देखा। उसकी माँ रक्षा उसकी हालत देख कर समझ गई कि कोई न कोई चीज उसे परेशान कर रही है।

उसने पूछा, क्या बात है बेटे?
कुछ नहीं माँ, बस कुछ चमगादड़ शेर खान के बारे में बातें कर रहे थे। मैं आज नीचे खेतों में शिकार करने जाउँगा।
ऐसा कहकर मोगली झाड़ियों को पार करता हुआ घाटी में नदी की ओर भागा। वहाँ उसने देखा कि उसके दल के भेड़िये शिकार कर रहे थे। फिर उसने किसी घायल सांभर की आवाज सुनी और फिर सांभर के बचकर भागने से किसी के झल्लाने की आवाज सुनी। उसके बाद उसे कुछ युवा भेड़ियों की व्यंगभरी आवाज सुनाई दी, अकेला, जाओ अपनी ताकत दिखाओ। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो नये सरदार के लिए जगह खाली कर दो।
तभी मोगली को अकेला के दाँत टूटने की आवाज आई और फिर उसके कराहने की क्योंकि उस साम्भर ने अकेला को जोर से लथाड़ मारी थी।
मोगली ने फिर और इंतजार नहीं किया और खेतों की ओर भागा। उसके पीछे अकेला के कराहने की आवाज धीमी होती चली गई।
मोगली पुआल के एक ढ़ेर के पीछे छुपा हुआ सोच रहा था, बघीरा सच ही कह रहा था। शायद कल ही अकेला और मेरी परीक्षा की घड़ी होगी।
उसके बाद उसने खिड़की में से चूल्हे पर जल रही आग को गौर से देखा। वह पूरी रात यह देखने की कोशिश करता रहा कि इंसान आग को जिंदा कैसे रखते हैं। उसने देखा कि एक औरत बीच बीच में आकर आग को काले-काले ढ़ेले खाने को देती थी। जब सुबह हुई तो घना कोहरा छाया हुआ था। मोगली ने देखा कि एक बच्चे के हाथ में एक बरतन था जिसपर अंदर से मिट्टी का लेप लगा हुआ था। उस बच्चे ने बरतन में जलते हुए कोयले डाले और फिर उस बरतन को अपने कम्बल के अंदर रख लिया। फिर वह बच्चा गायों को लेकर चराने के लिए निकल गया।
मोगली अपने आप से बोला, बस इतना ही। जब एक छोटा बच्चा ऐसा कर सकता है तो मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है।
वह आगे मोड़ तक गया, उस बच्चे के पास आया और आग वाले बरतन को उससे छीनकर कोहरे में गायब हो गया। बच्चा बेचारा डर के मारे रोने लगा।
मोगली बरतन में फूँक मार रहा था, जैसा कि उसने उस औरत को करते देखा था। वह अपने आप में बड़बड़ा रहा था, वे तो मेरी ही तरह दिखते हैं। इस चीज को यदि कुछ खाने को नहीं दूंगा तो यह मर जाएगी।
मोगली ने कुछ सूखी लकड़ियां और सूखे पत्ते उस बरतन में डाल दिये। रास्ते में उसे बघीरा मिला। बघीरा की खाल पर ओस की बूँदें ऐसे लग रहीं थीं जैसी जवाहरात जड़े हुए हों।