8 हिंदी वसंत


ध्वनि

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी तो आया है
मेरे मन में मृदुल वसंत
अभी न होगा मेरा अंत

इस कविता में वसंत ऋतु की शुरुआत में जो माहौल होता है उसकी चर्चा की गई है। कविता का शीर्षक उस मधुर संगीतमय वातावरण की तरफ इशारा करता है जो वसंत ऋतु के शुरु होने पर रहता है। वसंत के मौसम में हर तरफ से कोयल के कूकने की मधुर ध्वनि सुनाई देती है। इसके अलावा भौरों के गुंजन की ध्वनि भी सुनाई देती है। शायद इसलिए कवि ने इस कविता का शीर्षक ध्वनि रखा है।

अभी तो मधुर वसंत की शुरुआत ही हुई है। इसलिए अभी उसका अंत नहीं होने वाला। हर सुंदर चीज का अस्तित्व थोड़े ही समय के लिए रहता है। या कई बार ऐसा होता है कि उसकी सुंदरता निहारने में हम इतने मगन हो जाते हैं कि हमें लगता है जैसे समय जल्दी बीत गया हो।

वसंत साल का सबसे सुन्दर मौसम होता है और खुशनुमा होने की वजह से लगता है जैसे बहुत थोड़े समय के लिए ठहरता है। कवि ने इसी भावना को चित्रित करने की कोशिश की है।

हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न मृदुल कर
फेरूंगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

वसंत में डालियाँ, कलियाँ और छोटे पौधे सभी कोमल शरीर वाले होते हैं। गात शब्द का मतलब है शरीर। कवि ने लिखा है कि बसंत अपने सपनों जैसे मुलायम हाथों से नींद में डूबी कलियों को जगाने की कोशिश करता है। कोई भी कली जब खिलकर फूल बन जाती है तो ऐसा लगता है कि एक नए सबेरे की शुरुआत हुई है। यहाँ पर प्रत्यूष का मतलब है सबेरा या सुबह।

पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं।
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं।

वसंत ऋतु हर फूल से नींद की आलस को खींचने की कोशिश करता और हर किसी में नये जीवन का अमृत भर देता है।

द्वार दिखा दूंगा फिर उनको
हैं वे मेरे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत।

जब फूल खिल जायेंगे तो वसंत उन्हें इस असीम संसार के दरवाजे खोलकर उसका मनोहारी दृश्य दिखाएगा।

अगर दार्शनिक तौर पर देखा जाए तो वसंत का कभी अंत नहीं होता। बल्कि वसंत तो एक शुरुआत होती है। वसंत में खिले फूल ही आगे चल के फल बनते हैं। वो फल सभी जीव जंतुओं को भोजन देकर खुशियाँ बाँटते हैं। आखिर में उन्हीं फलों से बीज तैयार होते हैं और एक नई पीढ़ी की शुरुआत होती है। इसलिए वसंत बार-बार ये कह रहा है कि अभी उसका अंत नहीं होगा।

NCERT Solution

कविता से

प्रश्न 1: कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

उत्तर: जीवन एक अंतहीन चक्र के समान चलता रहता है। यदि पौधों के जीवन की बात करें तो बसंत ऋतु में अधिकतर पादपों में फूल लगते हैं। यही फूल बाद में फल बनते हैं, जिनसे पशु पक्षियों को भोजन मिलता है और उनका भरन-पोषण होता है। फलों से जो बीज निकलते हैं उनसे फिर एक नये पादप का सृजन होता है। इस तरह से जीवन का पहिया निरंतर चलता रहता है। इसलिए कवि को विश्वास है कि उसका अंत कभी नहीं होगा, क्योंकि अभी तो जीवन के चक्र की नई शुरुआत हुई है।

प्रश्न 2: फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन सा प्रयास करता है?

उत्तर: कवि अपने मुलायम हाथों से फूलों को पुचकारकर जगाने की कोशिश करता है। कवि चाहता है कि फूलों को नींद से जगा दे और उन्हें वसंत का मनोहारी दृश्य दिखा दे।

प्रश्न 3: कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?

उत्तर: कवि फूलों को अपने हाथों से सहलाकर जगाने की कोशिश करना चाहता है।

कविता से आगे

प्रश्न 1: वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।

उत्तर: वसंत के मौसम में पौधों पर फूल खिलते हैं। इसलिए वसंत की छटा देखने लायक होती है। वैसे तो हर ऋतु सुंदर होती है लेकिन जितने रंग वसंत ऋतु में देखने को मिलते हैं उतने किसी अन्य ऋतु में नहीं। इसलिए वसंत को ऋतुराज कहा जाता है।

प्रश्न 2: वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।

उत्तर: वसंत ऋतु में कई त्योहार आते हैं लेकिन होली का त्योहार सबसे अधिक मजेदार होता है। पौराणिक कथा के अनुसार असुर राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका इसी दिन आग में जलकर मर गई थी। इसलिए होली के एक रात पहले होलिका दहन किया जाता है। होली के दिन सब एक दूसरे को रंग और गुलाल से सराबोर करते हैं। हर घर में तरह तरह के पकवान बनते हैं। गुझिया तो प्राय: हर घर में बनती है। लोग भेदभाव और पुराने झगड़े भूलकर होली के दिन एक दूसरे से गले मिलते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

प्रश्न 3: “ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है” – इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।

उत्तर: ऋतु परिवर्तन का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।

ऋतु बदलने के साथ हमारी पोशाकें और खान-पान बदल जाता है। सर्दियों में हम ऊनी कपड़े पहने हैं और चाय कॉफी पीना अधिक पसंद करते हैं। गर्मियों में हम सूती कपड़े पहनते हैं और आइसक्रीम और लस्सी पसंद करते हैं।

हमारी दिनचर्या पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। वसंत ऋतु में हम अधिक देर तक खेलना कूदना जारी रख सकते हैं। लेकिन गर्मी में हम जल्दी थक जाते हैं।

बरसात और जाड़े में हमें सर्दी जुकाम से बचने की कोशिश करनी पड़ती है। बरसात आते ही लोग रेनकोट और छाता निकालकर साफ कर लेते हैं, क्योंकि उनकी जरूरत कभी भी पड़ सकती है। जब बारिश होती है तो उस समय पकौड़ों के साथ गरमा गरम चाय पीना बहुत लोगों को पसंद आता है।