9 हिंदी स्पर्श


दोहे

रहीम

Part 2

धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघाय।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय॥

कीचड़ में पाया जाने वाला थोडा सा पानी ही धन्य है क्योंकि उस पानी से कितने छोटे-छोटे जीवों की प्यास बुझती है। सागर का जल विशाल मात्रा में होते हुए भी व्यर्थ होता है क्योंकि उस जल से किसी की प्यास नहीं बुझती।

नाद रीझि तन देत मृग, नर धन देत समेत।
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत॥

हिरण किसी के संगीत से खुश होकर अपना शरीर न्योछावर कर देता है। इसी तरह से कुछ लोग दूसरे के प्रेम से खुश होकर अपना सब कुछ दे देते हैं। लेकिन कुछ लोग पशु से भी बदतर होते हैं जो दूसरों से तो बहुत कुछ ले लेते हैं लेकिन बदले में कुछ भी नहीं देते हैं।

बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥

कोई बात जब एक बार बिग़ड़ जाती है तो लाख कोशिश के बावजूद उसे ठीक नहीं किया जा सकता। यह वैसे ही है जैसे जब दूध एक बार फट जाये तो फिर उसको मथने से मक्खन नहीं निकलता।

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥

किसी बड़ी चीज को देखकर किसी छोटी चीज की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जहाँ छोटी चीज की जरूरत होती है वहाँ पर बड़ी चीज बेकार हो जाती है। जैसे जहाँ सुई की जरूरत होती है वहाँ तलवार का कोई काम नहीं होता।

रहिमन निज संपति बिन, कौ न बिपति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय॥

जब आपके पास धन नहीं होता है तो कोई भी विपत्ति में आपकी सहायता नहीं करता। यह वैसे ही है जैसे यदि तालाब सूख जाता है तो कमल को सूर्य जैसा प्रतापी भी नहीं बचा पाता है।

रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥

पानी हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि पानी के बगैर जीवन असंभव है। बिना पानी के न तो मोती बनता है, न चूना और पानी के बिना मनुष्य जीवन भी असंभव है।