9 हिंदी स्पर्श


कीचड़ का काव्य

काका कालेलकर

NCERT Solution

Part 2

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए:

Question 1: कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है?

उत्तर: कीचड़ का रंग कलाभिज्ञ लोगों और बुद्धिजीवी लोगों को खुश करता है। कुछ कलाप्रेमी मिट्टी के वैसे बरतन या कलाकृतियाँ जमा करते हैं जिनका रंग कीचड़ जैसा हो। कुछ अभिजात लोग कपड़ों के लिए भी कीचड़ जैसा रंग ही पसंद करते हैं। कई रुचिपूर्ण घरों की दीवारें भी कीचड़ के रंग की होती हैं।

Question 2: कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?

उत्तर: जब कीचड़ थोड़ा सूख जाता है तो उसपर चिड़ियों के चलने से निशान बनते हैं। जब तीन नाखून आगे और एक नाखून पीछे वाले ये निशान मीलों तक जाते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी बड़े नक्शे पर कारवाँ के निशान बने हों। सूखे कीचड़ पर मवेशियों के पदचिन्ह भी बनते हैं। कभी कभी जब ये मवेशी लड़ते हैं तो कीचड़ पर इनकी लड़ाई के निशान गवाही के रूप में बन जाते हैं।

Question 3: सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?

उत्तर: सूखे कीचड़ का सौंदर्य किसी भी नदी के तट पर दिखाई देता है। गंगा जैसी बड़ी नदी के तट पर कीचड़ का भंडार दिखता है। यदि इससे भी मन न भरे तो आप समंदर के किनारे या खंभात जाकर कीचड़ की विशाल राशि को देख सकते हैं। वहाँ पर तो इतना कीचड़ होता है कि उसमें हाथी क्या पहाड़ तक समा जाएँ।

Question 4: कवियों की धारणा को लेखक ने वृत्ति-शून्य क्यों कहा है?

उत्तर: कवि को लेखक ने युक्ति शून्य वृत्ति वाला बताया है। लेखक के अनुसार, कवि को सिक्के का केवल एक ही पहलू नजर आता है। कोई भी कवि ‘पंकज’ शब्द सुनकर आह्लादित हो उठता है लेकिन ‘पंक’ का नाम सुनते ही नाक भौं सिकोड़ने लगता है। ‘मल’ शब्द से कवि का मन मलिन हो उठता है लेकिन ‘कमल’ शब्द सुनते ही कवि नाचने लगता है।

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:

Question 1: नदी किनारे अंकित पदचिन्ह और सींगों के चिन्हों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।

उत्तर: इस पंक्ति में लेखक ने उस दृश्य का वर्णन किया है जब कीचड़ पर मवेशियों के लड़ने से तरह तरह के निशान बन जाते हैं। ऐसे निशान नाना प्रकार के होते हैं और एक विशाल क्षेत्र में अंकित हो जाते हैं। तब ऐसा लगता है कि इस देश में आज तक जितने भी मवेशियों के युद्ध हुए, कीचड़ उन सबका इतिहास बता रहा है।

Question 2: “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।“ कम से कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम।

उत्तर: लेखक का मानना है कि कवि यथार्थ से कोसों दूर होते हैं और वे सिक्के का केवल एक पहलू देखते हैं। लेकिन इस विषय पर किसी भी कवि से बहस करना बेकार है। कोई भी कवि शब्दों का धनी होता है और अपनी वाकपटुता से वह तर्कों में किसी को भी हरा सकता है।