भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
NCERT Abhyas
Part 3
प्रश्न 17: आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर: रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को संगठित और असंगठित क्षेत्रक में बाँटा गया है।
प्रश्न 18: संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
संगठित क्षेत्रक | असंगठित क्षेत्रक |
---|---|
इस सेक्टर में काम एक सिस्टम से होता है और नियमों की सीमा रेखा के अंदर होता है। | इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता और ज्यादातर नियमों का उल्लंघन होता है। |
इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार के नियमों के अनुसार होता है। | इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार द्वारा तय पारिश्रमिक से कम होता है। |
श्रमिकों को नियम के हिसाब से सामाजिक सुरक्षा मिलती है। | सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। |
नौकरी सामान्यत: सुरक्षित होती है। | नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है। |
प्रश्न 19: नरेगा 2005 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: नरेगा 2005 को ‘काम के अधिकार’ के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार के एक व्यक्ति को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन ही इस कार्यक्रम का लक्ष्य है। इससे गांवों से महानगरों की ओर होने वाले भारी पलायन को रोकने में भी मदद मिलती है।
प्रश्न 20: अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।
उत्तर: इसे समझने के लिए भारत के किसी भी शहर के ट्रांसपोर्ट सेक्टर की बात करते हैं। दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों में यातायात के लिए सार्वजनिक सेक्टर द्वारा बसें, लोकल ट्रेन और मेट्रो रेल चलाई जाती हैं। इनके अलावा निजी लोगों द्वारा ऑटोरिक्शा और टैक्सी चलाई जाती है। सार्वजनिक यातायात सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों को नियमित वेतन, छुट्टी और सामाजिक सुरक्षा मिलती है। लेकिन निजी यातायात सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों ये सुविधाएँ नहीं मिलती हैं।
प्रश्न 21: अपने क्षेत्र से एक एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:
उत्तर:
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | |
---|---|---|
सार्वजनिक क्षेत्रक | एन.टी.पी.सी. | बी.एस.एन.एल. |
निजी क्षेत्रक | टाटा पावर | स्वादिष्ट ब्रेड कम्पनी |
प्रश्न 22: सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यांवयन क्यों किया जाता है?
उत्तर:
गतिविधियाँ | सरकारी नियंत्रण के कारण |
---|---|
जल आपूर्ति | जल एक मूलभूत आवश्यकता है और जल की आपूर्ति के लिए भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। लेकिन लोगों को पीने का पानी कम से कम दाम में मुहैया कराना होता है। |
रेल परिचालन | रेल लाइन बिछाने और रेलगाड़ी खरीदने में भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। |
सड़क | ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बनाने में प्राइवेट कम्पनियों की कोई रुचि नहीं होती है। |
प्रश्न 23: व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर: जब कोई देश आर्थिक विकास के पहले चरण में होता है तो पब्लिक सेक्टर का महत्व बढ़ जाता है। जब भारत आजाद हुआ था तो यहाँ के निजी उद्यमियों के पास इतनी पूँजी नहीं थी कि आधारभूत उद्योग और आधारभूत संरचना में निवेश कर सकें। ऐसे में भारत सरकार ने पब्लिक सेक्टर की नींव रखी ताकि आधारभूत उद्योग और आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया जा सके। उसके बाद पब्लिक सेक्टर ने आर्थिक विकास की प्रक्रिया में एक उत्प्रेरक का काम किया।
प्रश्न 24: असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है – मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर: असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। सही मजदूरी नहीं मिलने से असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों के परिवार को कुपोषण, अशिक्षा और खराब स्वास्थ्य का शिकार होना पड़ता है। इन सबके बिना कोई भी श्रमिक अर्थव्यवस्था में अपना सही योगदान नहीं दे पाता है। इसलिए असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 25: अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन पत्र में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997 – 98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपये थी इसमें से 320 करोड़ रुपये संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होते थे। इस आँकड़े को सारणी में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए।
उत्तर:
संगठित क्षेत्रक | असंगठित क्षेत्रक | कुल योग | |
---|---|---|---|
श्रमिकों की संख्या | 400,000 | 1,100,000 | 1,500,000 |
कुल आय (करोड़ रुपये) | 320 | 280 | 600 |
इस टेबल से यह साफ होता है कि संगठित क्षेत्रक की तुलना में असंगठित क्षेत्रक में अधिक लोग काम करते हैं। लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में असंगठित क्षेत्रक बहुत पीछे है। सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे असंगठित क्षेत्र के उद्यमी संगठित क्षेत्र में आयें। इसके लिए सरकार को कई कदम उठाने चाहिए, जैसे कि टैक्स ब्रेक, नियमों का सरलीकरण, आदि।
प्रश्न 26: निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद रुपये (करोड़) में दिया गया है:
वर्ष | प्राथमिक | द्वितीयक | तृतीयक |
---|---|---|---|
1950 | 80,000 | 19,000 | 39,000 |
2000 | 314,000 | 280,000 | 555,000 |
(a) वर्ष 1950 एवं 2000 के लिए जीडीपी में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
उत्तर: वर्ष 1950 में कुल जीडीपी `= 80,000 + 19,000 + 39,000 = 138,000`
वर्ष 1950 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी
`=(80,000)/(138,000)xx100=100=57.97%`
वर्ष 1950 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
`=(19,000)/(138,000)xx100=100=13.76%`
वर्ष 1950 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
`=(39,000 )/(138,000)xx100=28.26%`
वर्ष 2000 में कुल जीडीपी `= 314,000 + 280,000 + 555,000 = 1,149,000`
वर्ष 2000 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी
`=(314,000)/(1,149,000)xx100=27.32%`
वर्ष 2000 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
`=(280,000)/(1,149,000)xx100=100=24.36%`
वर्ष 2000 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
`=(555,000)/(1,149,000)xx100=48.30%`
(b) अध्याय में दिए आरेख 2 के समान एक दण्ड आरेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:

(c) दण्ड आरेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर: यह दण्ड आरेख दर्शाता है कि तीनों सेक्टर में इन पचास वर्षों में जबरदस्त वृद्धि हुई है।