रेल परिवहन
लोगों और माल ढ़ुलाई के लिये रेल ही हमारे देश में मुख्य साधन है। लंबी दूरी तक माल ढ़ुलाई में रेल से सहूलियत होती है। रेल से व्यवसाय, पर्यटन, तीर्थयात्रा को बढ़ावा मिला है। रेल ने भारत के लोगों की आर्थिक जिंदगी को एक धागे में पिरोने का काम किया है। कृषि और उद्योग के विकास में भी रेल मददगार साबित हुआ है।
भारतीय रेल देश के सार्वजनिक सेक्टर का सबसे बड़ा उपक्रम है। भारत में पहली रेल मुम्बई से ठाणे के बीच 1853 में चली थी।
रेल नेटवर्क
भारतीय रेल तंत्र में 7,031 स्टेशन हैं जो 63,221 किमी के लंबे जाल में फैले हुए हैं। 31 मार्च 2004 के आँकड़ों के अनुसार भारतीय रेल के पास 7817 इंजन, 5321 पैसेंजर सेवा वाहन, 4,904 अन्य कोच वाहन और 228,170 वैगन हैं।
भारतीय रेल मार्ग | |||
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रेल गॉज (मीटर में) | रूट (किमी) | वहन मार्ग (किमी) | कुल मार्ग |
बड़ी लाइन (1.676) | 46,807 | 66,754 | 88,547 |
मीटर लाइन (1) | 13,209 | 13,976 | 16,489 |
छोटी लाइन (0.762 और 0.610) | 3,124 | 3,129 | 3,450 |
रेल का विकास
- भारतीय रेल को कुशल प्रबंधन के दृष्टिकोण से 16 जोन में बाँटा गया है। भारत में रेल का विकास यहाँ की भौगोलिक, आर्थिक और प्रशासनिक परिस्थितियों के प्रभाव में हुआ है।
- उत्तर भारत के मैदानों की समतल जमीन, अत्यधिक जनसंख्या घनत्व और कृषि संसाधनों की प्रचुरता से रेल के विकास के लिये अनुकूल स्थिति मिली। इस क्षेत्र में चौड़ी नदियों की भरमार होने के कारण यहाँ पुल बनाने की चुनौतियाँ भी आईं।
- पहाड़ी इलाकों में नीची पहाड़ियों और सुरंगों से होकर रेल लाइनें बिछाई गईं। हिमालय के पहाड़ों में दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या और आर्थिक अवसरों की कमी है। इसलिये हिमालय क्षेत्र में रेल लाइन बिछाना संभव नहीं हो पाया है।
- कुछ दुर्गम इलाकों में रेल लाइन बिछाना संभव नहीं हो पाया है, जैसे कि राजस्थान के रेगिस्तान, गुजरात के दलदली भाग, तथा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड के जंगल। सहयाद्रि के क्षेत्र को घाटों या दर्रों से होकर पार करना ही संभव था। लगभग बीस वर्ष पहले सहयाद्रि क्षेत्र में कोंकण रेलवे का निर्माण हुआ। कोंकण रेलवे से इस क्षेत्र में यात्रियों के आवागमन और माल ढ़ुलाई में बहुत सुविधा हुई है।
- आज परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में रेल का महत्व भारत की अर्थव्यवस्था के लिये अधिक हो गया है। लेकिन रेल परिवहन की अपनी कई समस्याएँ हैं। बिना टिकट यात्रा, रेल संपत्ति को नुकसान, चोरी, बिना कारण खतरे की जंजीर खींचना, आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।
पाइपलाइन
पाइपलाइन का नाम सुनते ही सबके मन में पानी की सप्लाई का ध्यान आता है। लेकिन आपने शायद कहीं सुना होगा कि पाइपलाइन का उपयोग कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और प्राकृतिक गैस की सप्लाई के लिये भी होने लगा है। कुछ ठोस पदार्थों को स्लरी के रूप में पाइपलाइन से सप्लाई किया जाता है। इस विधि से लौह अयस्क को कुछ बंदरगाहों तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है। बरौनी, मथुरा और पानीपत में तेल के कुंए नहीं हैं लेकिन पाइपलाइन के कारण यहाँ तेल रिफाइनरी का काम संभव हो पाया है। पाइपलाइन के कारण आज गैस पर आधारित उर्वरक प्लांट बन पाये हैं। पाइपलाइन को बिछाने का खर्च बहुत आता है, लेकिन उसके बाद इसे चलाने में निम्नतम खर्च आता है। पाइपलाइन की मदद से परिवहन में होने वाली देरी और नुकसान से भी बचा जा सकता है।
भारत में पाइपलाइन के तीन मुख्य नेटवर्क हैं:
- ऊपरी असम से गुवाहाटी होते हुए कानपुर, बरौनी और इलाहाबाद तक। इसकी शाखाएँ बरौनी से राजबंध होते हुए हल्दिया तक, राजबंध से मौरीग्राम तक, और गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक हैं।
- गुजरात के सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली और सोनीपत से होते हुए पंजाब के जलंधर तक। इसकी शाखाएँ कोयली और चक्शु तक जाती हैं।
- गुजरात के हजीरा से निकलने वाली गैस पाइपलाइन मध्य प्रदेश के विजयपुर से होते हुए उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर को जोड़ती है। इसकी शाखाएँ राजस्थान के कोटा और उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला और अन्य स्थानों तक जाती हैं।
जल परिवहन
परिवहन का सबसे सस्ता साधन जल परिवहन है। भारी और विशाल सामान को ले जाने के लिये जल परिवहन अत्यंत उपयुक्त है। इसमें ईंधन की खपत कम होती है और पर्यावरण को कम नुकसान होता है। भारत में अंत: स्थलीय नौचालन मार्ग 14,500 किमी लंबा है। लेकिन इसमें से केवल 3,700 किमी मोटरचालित बोट के लायक हैं।
निम्नलिखित जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है:
- इलाहाबाद और हल्दिया के बीच की गंगा का मार्ग (1620 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 1
- सदिया और धुबरी के बीच ब्रह्मपुत्र का मार्ग (891 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 2
- केरल का पश्चिम तटीय नहर ((कोट्टापुरमा से कोम्मान तक, उद्योगमंडल और चम्पक्कारा नहरें: 205 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 3
- गोदावरी, कृष्णा, सुंदरबन, बराक, बकिंघम कैनाल, ब्राह्मणी, पूर्व-पश्चिम नहर और दामोदर घाटी नहर का नाम अन्य सक्षम जलमार्गों की श्रेणी में आता है।