10 इतिहास
जिस स्थान की प्रमुख आर्थिक क्रिया कृषि नहीं होती है उस स्थान को शहर कहते हैं। जब किसी स्थान पर भोजन का उत्पादन इतनी प्रचुर मात्रा में होने लगता है कि वह अन्य आर्थिक गतिविधियों को पोषित कर सके तो वह स्थान शहर के रूप में विकसित हो जाता है।
शहर कई गतिविधियों का केंद्र होते हैं; जैसे राजनीतिक सत्ता, प्रशासनिक तंत्र, उद्योग धंधे, धार्मिक संस्थाएँ और बौद्धिक गतिविधियाँ।
औद्योगिक क्रांति के शुरु होने के कई दशक बाद भी पश्चिमी देशों के अधिकतर भागों में ग्रामीण परिवेश ही था। ब्रिटेन में शुरुआती दौर के औद्योगिक शहरों में जो लोग रहते थे उनमे से अधिकतर लोग ग्रामीण इलाकों से पलायन करके आये थे।
1750 आते आते इंग्लैंड और वेल्स का हर नौ में से एक व्यक्ति लंदन में रहता था। उस समय लंदन की जनसंख्या 675,000 थी। 1810 से 1880 के बीच लंदन की जनसंख्या 10 लाख से बढ़कर 40 लाख हो गई; यानि चार गुनी हो गई।
लंदन में कोई बड़ी फैक्टरी नहीं होने के बावजूद पलायन करने वालों के लिए लंदन मुख्य मंजिल हुआ करता थी। लंदन के डॉकयार्ड (गोदी) में रोजगार के प्रचुर अवसर थे। इसके अलावा लोगों को कपड़ा, जूते, लकड़ी, फर्नीचर, मेटल, इंजीनियरिंग, प्रिंटिंग और प्रेसिजन इंस्ट्रूमेंट में रोजगार मिल जाता था।
प्रथम विश्व युद्ध (1914 – 1919) के दौरान लंदन में कार और इलेक्ट्रिकल उत्पादों का निर्माण शुरु हुआ, और इस तरह लंदन में बड़े कारखानों की शुरुआत हुई। कुछ समय बीतने के बाद, लंदन में रोजगार के कुल अवसरों का एक तिहाई हिस्सा इन बड़े कारखानों में उपस्थित था।
जैसे जैसे लंदन शहर का आकार बढ़ा, यहाँ अपराध भी बढ़ने लगा। अनुमानित आँकड़े बताते हैं कि 1870 के दशक में लंदन में लगभग 20,000 अपराधी रहते थे। जिन्हें कोई काम नहीं मिलता था वे छोटे मोटे अपराध करने लगते थे। कुछ मामले ऐसे भी होते थे जिसमें किसी फैक्ट्री में कम वेतन पर काम करने की बजाय अपराध से बेहतर कमाई हो जाती थी।
युद्ध के समय कई महिलाओं को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, जिसके कारण उन्हें गुजर बसर करने के लिए दूसरे के घरों में चौका बरतन करना पड़ता था। कई महिलाओं ने दूसरे कामों के लिए अपना घर किराये पर देना भी शुरु किया।
गरीब लोग अक्सर अपने बच्चों को कम पगार वाले कामों पर लगा देते थे। स्थिति को ठीक करने के उद्देश्य से 1870 में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा कानून और 1902 में फैक्ट्री कानून पास हुआ। इन कानूनों की मदद से छोटे बच्चों को कारखानों में काम करने से रोका गया।
गाँव से भारी संख्या में लोग पलायन करके शहर में आ रहे थे, जिससे आवास की समस्या उत्पन्न हो गई। फैक्ट्री या वर्कशॉप की ओर से श्रमिकों को आवास की सुविधा नहीं दी जाती थी। 1887 में लिवरपूल के जहाज मालिक चार्ल्स बूथ ने एक सर्वेक्षण किया जिसके मुताबिक लंदन में करीब 10 लाख लोग गरीब थे। यह संख्या उस समय की लंदन की आबादी का 20 प्रतिशत थी। उस जमाने में अमीरों और मध्यम वर्ग के लोगों की औसत उम्र 55 वर्ष थी, जबकि गरीबों की औसत उम्र 29 वर्ष थी। चार्ल्स बूथ ने यह निष्कर्ष निकाला कि लंदन में गरीबों के लिये कम से कम चार लाख कमरों की आवश्यकता थी।
गरीब लोग एक कमरे के कामचलाऊ मकानों में रहते थे। ऐसे मकानों गंदगी रहती थी, हवा आने जाने की समुचित व्यवस्था नहीं थी और हमेशा आग लगने का खतरा बना रहता था। ऐसे मकानों की बड़ी संख्या को जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा माना जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि कठिन परिस्थिति में रहने वाले लोग समाज में लड़ाई झगड़े के लिए अनुकूल परिस्थिति प्रदान करते हैं। स्थिति को सुधारने के लिए मजदूरों के लिए आवास योजना बनाई गई।
लंदन शहर की हवा को साफ सुथरा करने के लिए कई कदम उठाए गए। मुहल्लों को खुला-खुला बनाया गया। शहर में हरित पट्टी बनाई गई ताकि प्रदूषण घटे और शहर सुंदर दिखे। कामचलाऊ मकानों के स्थान पर बड़े-बड़े अपार्टमेंट बनाये गये। लोगों पर से किराये का बोझ घटाने के उद्देश्य से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रेंट कंट्रोल कानून लाया गया।
दोनों विश्व युद्धों के बीच के अंतराल में ब्रिटेन की सरकार ने श्रमिकों के लिये आवास उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली। स्थानीय निकायों द्वारा लगभग दस लाख मकान बनाये गये। इनमे से अधिकतर मकानों में एक परिवार के रहने लायक जगह थी।
किसी भी शहर के व्यावसायिक केंद्र पर से जनसंख्या का बोझ घटाने के लिए यह जरूरी होता है कि लोगों को ऐसी सुविधा दी जाये कि वे आसानी से उपनगरों से रोज शहर आ जा सकें। इसके लिये एक कार्यकुशल यातायात सुविधा की आवश्यकता होती है।
लंदन में इस उद्देश्य से भूमिगत रेल निर्माण शुरु हुआ। पैडिंगटन और फैरिंगटन के बीच अंडरग्राउंड रेल का पहला सेक्शन 1863 में शुरु हो गया। 1880 तक भूमिगत रेल सेवा को इतना बढ़ा दिया गया कि इससे साल में लगभग चार करोड़ यात्री सफर करने लगे।
शुरु शुरु में भूमिगत रेल के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया कुछ अच्छी नहीं थी। भूमिगत रेल निर्माण के कारण जिन लोगों के मकान गिरा दिये गये थे वे इस रेल का विरोध करते थे। अधिकतर लोगों को भूमिगत रेल के अंदर धुंए से भरे कोच में सफर करना पसंद नहीं आता था। लेकिन समय बीतने के साथ भूमिगत रेल को सफलता का प्रतीक माना जाने लगा।
औद्योगीकरण के कारण शहर में कई सामाजिक बदलाव हुए। परिवार का आकार छोटा होने लगा और व्यक्तिवाद बढ़ने लगा। मजदूर वर्ग में शादियाँ टूटने भी लगीं थीं। उच्च मध्य वर्ग की महिलाओं का अकेलापन बढ़ने लगा था। नौकरी करने वाली महिलाओं का अपने जीवन पर नियंत्रण बढ़ने लगा। लेकिन कई विचारकों को लगता था कि परिवार जैसी संस्था को बचाने के लिए महिलाओं का घर की चारदीवारी मे रहना ही अच्छा है। महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी अभी पुरुषों की तुलना में बहुत कम थी। परिवार अब नये बाजार का केंद्र बन चुका था।
ब्रिटेन के अमीरों के बीच ‘लंदन सीजन’ मनाने की एक परंपरा थी। अमीरों के लिये इस उत्सव में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। श्रमिक वर्ग के लोग अपना खाली समय पब या शराबघरों में बिताते थे। उन्नीसवीं सदी में पुस्तकालय, कला दीर्घा और अजायबघर बनाये गये ताकि लोग ब्रिटेन के इतिहास और उपलब्धियों को जानें और उनपर गर्व महसूस करें। निम्न वर्ग के लोगों में संगीत सभा काफी लोकप्रिय थी। बीसवीं सदी की शुरुआत से सिनेमा हर वर्ग के लोगों में बहुत लोकप्रिय हो चुका था। श्रमिक वर्ग में सैर सपाट के लिए बीच पर छुट्टियाँ मनाने का प्रचलन बढ़ गया था।
किसी भी शहर की विशाल आबादी में राजनैतिक अवसर छुपे होते हैं और दंगे की आशंका भी होती है। उस दौर में मजदूरों की मांगों को लेकर बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन हुए थे। पुलिस ने कुछ आंदोलनों को बर्बरता से कुचल दिया। लेकिन प्रशासन ने फिर इस दिशा में काम किया ताकि लोगों में टकराव और विद्रोह की भावना समाप्त हो। इस उद्देश्य से शहर को सुंदर बनाने के प्रयास किये गये।
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