अजीब चिड़िया
बहुत समय पहले की बात है, एक वन में एक अजीब सी चिड़िया रहती थी। लगता है किसी शाप के कारण उस चिड़िया के दो सिर थे। इस तरह से उनके पास एक शरीर लेकिन दो दिमाग थे। चिड़िया का जीवन सामान्य तरीके से चल रहा था। हर सुबह वह उठकर भोजनं की तलाश में निकल जाती थी। जब एक सिर खाना ढूंढता था तो दूसरा सिर खतरे के प्रति सचेत रहता था। इस तरह से दोनों सिरों में बड़ा ही अच्छा तालमेल रहता था।
एक दिन जब वह चिड़िया जमीन पर फुदक रही थी तो उसने एक आकर्षक फल देखा। वह फल इतना अद्भुत लग रहा था कि दोनों ही सिर उसके स्वाद का मजा लेना चाहते थे। बस उनमे इस बात को लेकर झगड़ा शुरू हो गया कि उस फल को कौन खायेगा। पहले सिर ने कहा, “इसे मैंने पहले देखा है, इसलिए इसे मैं खाऊँगा”। दुसरे सिर ने कहा, “इस फल के लिए आपस में झगड़ना अच्छा नहीं है। क्यों न हम इस फल को अपनी पत्नी को उपहार के तौर पर दे दें”। इस तरह से दोनों में सुलह हो गई।

लेकिन इसके बाद पहले सिर को लगने लगा कि दूसरा सिर तो बाजी मार ले गया। वह इस बात का बदला लेने के लिए सही मौके का इंतज़ार करने लगा। वह मौक़ा जल्दी ही आ गया। उसने किसी झाड़ी से एक जहरीले फल को लटकते देखा। उसने आव देखा न ताव और उस फल को निगल गया । इस प्रकार से उस अजीब सी चिड़िया का दुखद अंत हो गया।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है, "दुविधा में रहने से नुकसान ही होता है।"