हाथी और खरगोश
किसी जंगल में बड़े ही गुस्सैल हाथियों का एक झुण्ड रहता था। अपनी अकूत ताकत के कारण वे अक्सर दूसरे जानवरों को परेशान किया करते थे। जंगल के इकलौते तालाब पर हाथियों ने कब्जा जमाया हुआ था। इससे दूसरे जानवरों को सही से पीने का पानी नहीं मिलता था। पास की एक झाडी में खरगोशो का एक झुण्ड रहता था। उन्होंने अपने नेता से कहा कि कोई हल निकालने के लिए हाथियों के राजा से बात करे। जब खरगोशों का नेता हाथी राजा से बात करने गया तो हाथी का राजा उसपर हंसा और बोला, "जिसकी लाठी उसकी भैंस।"
हाथी राजा के इस बर्ताव से खरगोश का नेता दुखी और क्रोधित हो गया। उसने हाथियों को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई। एक चांदनी रात को वह हाथी राजा के पास गया और बोला, "मैं तुम्हारे लिए चाँद का सन्देश लाया हूँ।"
हाथी का राजा ऐसा सुनकर गुस्से में आ गया और बोला, “मैं तुमपर कैसे विश्वास कर लूँ? इतना पिद्दी जानवर और चाँद का दूत, हो ही नहीं सकता।"
इसपर खरगोश ने कहा, "तुम मेरे साथ तालाब के पास चलो। वहां मैं तुम्हारी चाँद से मुलाक़ात करवाऊंगा। तब तो तुम्हे मेरी बात पर विश्वास हो जाएगा?"
हाथी खरगोश की बात का पता करने के लिए तालाब के पास जाने को तैयार हो गया। जब वे दोनों तालाब के पास पहुंचे तो खरगोश ने हाथी को तालाब में चाँद का प्रतिबिम्ब दिखाया और बोला कि चाँद हाथी से बात करने उतरकर आया है। हाथी यह देखकर अंदर से डर गया। उसने खरगोश से वादा किया कि वह अब किसी भी जानवर को तंग नहीं करेगा। इस तरह जंगल में फिर से शान्ति लौट आई।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि सही बुद्धि लगाने से बड़ी समस्या का भी निदान मिल जाता है।