पंचतंत्र

मूर्ख जुलाहा

किसी गाँव में एक जुलाहा रहता था। एक दिन जब वह काम कर रहा था तो उसे लगा कि उसके करघे को मरम्मत की जरूरत है। उसे इसके लिए लकड़ी की जरूरत थी, इसलिए लकड़ियाँ काटने जंगल की ओर चला गया। उसने एक पेड़ को चुना और उसकी डाल काटने को बढ़ा। लेकिन तभी वहां पर एक जिन्न प्रकट हो गया।

जिन्न ने कहा, “मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ इस पेड़ पर रहता हूँ। तुमसे अनुरोध है कि इसे मत काटो। बदले में मैं तुम्हे मनचाहा वरदान दूंगा।” ऐसा सुनकर जुलाहे ने कहा, “मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या वर मांगूं। अच्छा होगा कि मैं अपनी पत्नी से पूछकर आता हूँ।”

weaver with two heads

इसके बाद वह जुलाहा अपने घर लौटा और अपनी पत्नी से जिन्न और वरदान की बात बताई। उसकी पत्नी जरूरत से ज्यादा अकलमन्द थी। उसने जुलाहे से कहा कि वह जिन्न से एक और सिर और दो और हाथ मांग ले। इससे जुलाहा अधिक तेजी से काम कर पाएगा और उनकी आमदनी दोगुनी हो जाएगी।

जुलाहा भागकर जंगल पहुंचा और जिन्न से कहा की उसे एक और सिर और दो और हाथ दे दे। जिन्न ने हवा में अपना हाथ लहराया, कुछ मन्त्र बुदबुदाए और फिर कमाल हो गया। जुलाहे के दो सिर और चार हाथ हो गए। जुलाहा बहुत खुश हुआ। वह सरपट अपने गाँव की और भागा। जब वह गाँव में घुसा तो गाँववालों ने उसे कोई राक्षस समझ लिया। गांववालों ने उसे पत्थर मार-मारकर जान से मार दिया।

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हाथ आए मौके का फायदा उठाने के लिए भी अकल की जरूरत होती है।