सांप और राजकुमार
एक राजकुमार था जो एक अजीब से रोग से पीड़ित था। वैद्यों ने बताया था कि उसके पेट में एक ज़िंदा सांप है। राजकुमार जो कुछ भी खाता था उसे वह सांप खा जाता था। इसलिए वह राजकुमार बड़ा ही दुबला पतला और कमजोर था। वह कई नामी गिरामी वैद्यों, ऋषि, ओझा, तांत्रिक, आदि के पास गया लेकिन कोई भी उस सांप को बाहर नहीं निकाल पाया।
राजकुमार अपनी हालत से इतना तंग आ चुका था कि वह अपने महल को छोड़कर कहीं दूर जाकर एक सुनसान मंदिर में रहने लगा। राजकुमार अब जिस राज्य में रहता था, वहां के राजा की दो बेटियां थीं। छोटी बेटी स्वच्छंद ख्यालों की थी और हमेशा ही समाज की कुरीतियों के खिलाफ बोलती थी। एक दिन राजा अपनी छोटी बेटी से बहुत गुस्सा हुआ और उसने आदेश दिया कि उसकी शादी सबसे निर्धन व्यक्ति से करा दी जाए। उसने अपने सिपाहियों को सबसे निर्धन व्यक्ति की खोज में भेज दिया। सिपाही जब सबसे निर्धन व्यक्ति को खोज रहे थे तो उनकी नजर उस राजकुमार पर पड़ी। इस तरह से उस राजकुमारी का विवाह उस राजकुमार से हो गया। लेकिन राजकुमारी बहुत हिम्मत वाली थी। उसने कहा कि वह अपने सोए हुए भाग्य को जगाने के लिए कठिन मेहनत करेगी।

इसके बाद दोनों एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए कहीं दूर चले गए। वे एक गाँव में मजदूरी करने लगे। एक दिन वह राजकुमार सोया हुआ था। तभी उसके पेट के अंदर का सांप ताज़ी हवा खाने के विचार से उसके मुंह से बाहर निकला हुआ था। ठीक उसी समय पास की एक बाम्बी से भी एक सांप बाहर आया और राजकुमार वाले सांप को देखा। दोनों सांप आपस में बहस लड़ाने लगे।
पहले सांप ने कहा, "बाम्बी के अंदर एक खजाना छुपा है। कोई यदि बाम्बी में गरम तेल डाल दे तो वह सांप मर सकता है। इसके बाद आसानी से खजाने को प्राप्त किया जा सकता है।"
दूसरे सांप ने कहा, "राजकुमार यदि सरसों को गुड़ में पकाकर खाए तो उसे हमेशा के लिए सांप से छुटकारा मिल सकता है।"
राजकुमारी उन दोनों की बातें सुन रही थी। उसने सरसों को गुड़ में पकाया और राजकुमार को खिला दिया। इससे राजकुमार के अंदर का सांप बाहर निकला और दम तोड़ दिया। फिर उसने गरम तेल को बाम्बी में डाल दिया। इस तरह से उसका सोया हुआ भाग्य जाग गया।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हर रात के बाद सुबह अवश्य होती है।