काबुलीवाला
रवींद्रनाथ टैगोर
इस कहानी को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा है। इस कहानी में लेखक ने एक छोटी बच्ची और एक फेरीवाले के बीच पनपने वाली दोस्ती का वर्णन किया है।
शुरु में छोटी बच्ची काबुलीवाले से डरती है क्योंकि उसे लगता है कि काबुलीवाला अपनी बोरी में बच्चों को बंद करके रखता है। बाद में दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है।
बच्ची के पिता को काबुलीवाला भला आदमी लगता है लेकिन बच्ची की माता को उससे डर लगा रहता है।
एक बार काबुलीवाला एक व्यक्ति की हत्या के जुर्म में जेल चला जाता है। उसके बाद दिन बीत जाते हैं और छोटी बच्ची बड़ी हो जाती है। सब लोग काबुलीवाले को भूल चुके होते हैं। छोटी बच्ची अब इतनी बड़ी हो चुकी है कि उसकी शादी हो रही है। काबुलीवाला जेल से छूटकर आता है और उससे मिलना चाहता है। तभी पता चलता है कि वह अपनी बेटी को वर्षों पहले काबुल मे छोड़कर बंगाल चला आया था।
पाठ संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1: मिनी को ऐसा क्यों लगता था कि काबुलीवाला अपनी झोली में चुराए हुए बच्चों को छिपाए हुए है?
उत्तर: छोटे बच्चों को अक्सर उसके माँ बाप इस तरह का भय दिखाते हैं ताकि बच्चे अजनबियों से दूर रहें। लगता है मिनी को भी ऐसी ही बातें बताई गई होंगी। इसलिए उसे लगता था कि काबुलीवाला अपनी झोली में चुराए हुए बच्चों को छिपाए हुए है।
प्रश्न 2: मिनी की काबुलीवाले से मित्रता क्यों हो गई?
उत्तर: काबुलीवाला मिनी की बातें पूरे ध्यान से सुनता है। वह उसके साथ खेलता भी है। अक्सर मिनी की उम्र के बच्चों को वयस्क कम ही समय देते हैं। मिनी को लगता है कि काबुलीवाला उसे पूरा महत्व दे रहा है। इसलिए दोनों की मित्रता हो गई।
प्रश्न 3: काबुलीवाला हमेशा पैसे क्यों लौटा देता था?
उत्तर: काबुलीवाले को मिनी में अपनी बेटी नजर आती है जिसे वह काबुल में ही छोड़कर आया था। जब वह मिनी को सूखे मेवे देता है तो उसे लगता है कि वह अपनी बेटी को कुछ दे रहा है। इसलिए काबुलीवाला पैसे लौटा देता था।
प्रश्न 4: वर्षों बाद मिनी के पिता ने काबुलीवाले को उसकी किस बात से पहचान लिया?
उत्तर: उसकी हँसी देखकर
सही मिलान करो
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
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(a) बे-सिर-पैर | (1) तुरंत |
(b) पलक झपकते ही | (2) बिना मतलब की |
(c) बँधी हुई बातें | (3) चेहरा सामने से हटा लेना |
(d) बात चलना | (4) निश्चित बातें/एक ही तरह की बात चीत |
(e) मुँह फेरना | (5) बात शुरु होना |
उत्तर: (a) 2, (b) 1, (c) 4, (d) 5, (e) 3