हिमालय की बेटियाँ
नागार्जुन
इस लेख को नागार्जुन ने लिखा है। नागार्जुन मैदानी इलाके के रहनेवाले थे जहाँ उन्होंने हमेशा नदियों के शांत भाव को देखा था।
जब वह भ्रमण करते हुए हिमालय की गोद में पहुँचते हैं तो उन्हें नदियों का एक अनोखा रूप दिखाई देता है। उन्हें लगता है कि नदियाँ बालिकाओं और किशोरियों की तरह खेलकूद रही हैं।
लेखक को लगता है कि हिमालय एक पिता की तरह है जिसकी गोद में उसकी बेटियाँ जी भरकर खेल रही हैं और इतरा रही हैं। हर बेटी की तरह हिमालय की बेटियाँ भी अपने पिता का घर छोड़ देती हैं और उसके बाद अपने पति के घर की ओर निकल जाती हैं। लेखक ने हिमालय की तुलना ससुर से की है और सागर की तुलना उसके दामाद से।
लेख से
प्रश्न 1: नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर: नागार्जुन नदियों को बेटी, बहन और प्रेयसी के रूप में देखते हैं।
प्रश्न 2: सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर: सिंधु और ब्रह्मपुत्र को महानद कहा गया है। इन दोनों नदियों की विशालता के कारण इन्हें यह विशेषण दिया गया है।
प्रश्न 3: काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर: काका कालेलकर को लगता है कि नदियाँ जीवनदायिनी होती हैं। नदियों द्वारा सिंचित मैदानों में विश्व की जनसंख्या के एक बहुत बड़े हिस्से का पालन-पोषण होता है। इसलिए काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता यानि लोगों की माता कहा है।
प्रश्न 4: हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर: हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, हिमनदों और पर्वतों की प्रशंसा की है।