9 हिंदी कृतिका


रीढ़ की हड्डी

जगदीश चंद्र माथुर

NCERT Solution

Part 2

प्रश्न 6: शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: शंकर जैसे लड़के समाज पर बोझ सिद्ध होते हैं। शंकर अपने पिता की कमाई पर ऐश करना जानता है। उमा में आत्मसम्मान कूट-कूट कर भरा है। उसे बाहरी दिखावा पसंद नहीं है। इसलिए इस समाज को उमा जैसी लड़की की जरूरत है।

प्रश्न 7: ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस नाटक में दो मुख्य पात्र हैं; उमा और शंकर। दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं। एक ओर उमा के पास स्वाभिमान है तो दूसरी ओर शंकर पास स्वाभिमान की सख्त कमी है। यहाँ पर ‘रीढ़ की हड्डी’ उसी स्वाभिमान का सूचक है। इसलिए यह शीर्षक इस नाटक पर सटीक बैठता है।

प्रश्न 8: कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?

उत्तर: हालाँकि इस नाटक के ज्यादातर संवाद रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद के हिस्से आये हैं लेकिन पूरा नाटक उमा के इर्द गिर्द घूमता है। शुरु की सारी तैयारी उमा की शादी तय करने के लिए होती है। नाटक का अंत भी उमा के मुखर विरोध से होता है। इसलिए उमा ही इस नाटक की मुख्य पात्र है।

प्रश्न 9: एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: रामस्वरूप आधुनिक खयाल के व्यक्ति हैं लेकिन वे जमाने से समझौता करने को भी तैयार रहते हैं। उनके द्वारा उमा की पढ़ाई को प्रोत्साहित करना उनके आधुनिक खयालों को दर्शाता है। लेकिन उमा की शादी के लिए कुछ समझौते करना उनकी मजबूरी को दिखाता है। गोपाल प्रसाद बड़े काईयां लगते हैं; क्योंकि वे शादी को भी बिजनेस समझते हैं। वे उस पुरुष प्रधान समाज के पक्षधर लगते हैं जिसमें स्त्रियों के लिए कोई स्थान नहीं है।

प्रश्न 10: इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।

उत्तर: इस एकांकी का उद्देश्य है समाज की विडंबनाओं को दिखाना। एक ओर समाज आगे बढ़ने की इच्छा रखता है तो दूसरी ओर उसकी बेड़ियाँ उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं। लेकिन हर काल में हर समाज में कुछ ऐसे लोग आगे आते हैं जो पुरानी बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न 11: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?

उत्तर: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु कई प्रयास किये जा सकते हैं। इसमें सबसे अहम कोशिश होती है महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना। ऐसा कहा गया है कि यदि आप किसी महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करते हैं। इसके अलावा महिलाओं के प्रति पुरुषों का दृष्टिकोण बदलने की भी जरूरत है।