खोया बच्चा
हिंदी अनुवाद
अजय आनंद
वे सही आकलन लगा रहे थे। ऐसा कई बार हुआ था कि मोगली से खेलते समय भेड़ियों के बच्चों ने उसे कई बार काटा था। उनकी ऐसी मंशा नहीं थी लेकिन अनजाने में इससे मोगली को जख्म जरूर हुआ था। मोगली के हाथों और पैरों पर जगह-जगह घाव के दाग थे। लेकिन उसे पता था कि भेड़िये अगर असल में काट लें तो क्या होता है। वह तो उन दागों को अपने दोस्तों की निशानी मानता था।

तभी तो तीन औरतों ने एक साथ कहा, अरे रे! देखो तो बेचारे को, भेड़ियों ने इसे किस बुरी तरह से काटा है। बड़ा ही सुंदर बच्चा है। इसकी आँखों में तो अंगार है। सुनती हो मेसुआ, कहीं यह तुम्हारा बेटा तो नहीं जिसे बाघ उठाकर ले गया था?
एक औरत, जिसने अपनी कलाइयों और टखने पर ताँबे के बड़े-बड़े छल्ले पहने हुए थे, ने कहा, जरा देखूँ तो! नहीं ये तो नहीं लग रहा है। ये कुछ दुबला है, लेकिन मेरे बेटे जैसा ही लगता है।
पुजारी बड़ा ही चालाक था। उसे पता था कि मेसुआ का पति उस गाँव में सबसे अमीर था। इसलिए पुजारी ने कुछ देर के लिए आकाश की ओर देखा और बड़ी गंभीर वाणी में बोला, जो कुछ जंगल ने लिया था, अब उसे वापस कर दिया है। अरी बहन, इस बच्चे को अपने घर ले जाओ। और हाँ इस पुजारी को दान दक्षिणा देना मत भूलना क्योंकि मैं ही हूँ जो लोगों के भूत और भविष्य का सही खयाल रखता हूँ।
इस बीच मोगली सोच रहा था, उस भैंसे की कसम, जिसने अपनी जान देकर मुझे खरीदा था, यहाँ भी झुण्ड में एक नए जानवर को शामिल करने के लिए झगड़ा हो रहा है। फिर भी यदि मैं इंसान हूँ तो मुझे पूरी तरह इंसान बनना ही होगा।
थोड़ी देर में भीड़ वहाँ से तितर बितर हो गई। उस औरत ने मोगली को अपने पीछे आने का इशारा किया। उसकी झोपड़ी में एक चारपाई थी जिसपर लाल रंग चढ़ा हुआ था। एक मिट्टी का बड़ा सा बरतन था जिसमें अनाज रखा जाता है। उस बरतन पर उभरा हुआ डिजाइन बना था। लगभग आधा दर्जन ताँबे के बरतन थे जिसमें खाना पकता था। एक ताख पर किसी देवता की मूर्ति थी। दीवार पर एक आइना टंगा था जिसके फ्रेम पर नक्काशी की गई थी। इस तरह के आइने अक्सर गाँवे के मेले में बिकते हैं।
उसने मोगली को एक लंबे से गिलास में भरकर दूध दिया और रोटी खाने को दी। इसके बाद उसने मोगली के सिर पर हाथ फेरा और उसकी आँखों में देखने लगी। वह सोच रही थी कि शायद वह उसका खोया हुआ बेटा ही था जिसे कभी बाघ उठाकर ले गया था। उस औरत ने कहा, तू ही मेरा नत्थू है। तुम्हें तो याद भी नहीं होगा, जब मैंने तुम्हारे लिये नये जूते लाये थे।
ऐसा कहकर उसने मोगली के पाँवों को छुआ। मोगली के पाँव तो किसी पत्थर की तरह कड़े थे। वह बड़े दुखी स्वर में बोली, अरे नहीं, इन पैरों ने तो कभी जूते नहीं पहने हैं। कोई बात नहीं, तुम नत्थू जैसे ही लगते हो। इसलिए आज से तुम मेरे बेटे हुए।