9 हिंदी कृतिका


मेरे संग की औरतें

मृदुला गर्ग

NCERT Solution

Part 2

प्रश्न 5: डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है – पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: पाठ में एक चोर का रोचक जिक्र है। संयोग से चोर जिस कमरे में घुसा उसमें लेखिका की माँ सो रहीं थीं। लेखिका की माँ ने चोर से पानी मँगवाया। इस काम में जब चोर पकड़ा गया तो लेखिका की माँ ने उससे कहा कि पानी पिलाने के नाते वह उनका बेटा हो गया और अब उसकी मर्जी कि वह चोरी करे या खेती बाड़ी। उस बात का चोर पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने चोरी छोड़ दी और खेती बाड़ी करने लगा। यह वाकया दर्शाता है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही रास्ते पर लाया जा सकता है।

प्रश्न 6: ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ – इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: जब लेखिका कर्णाटक के बागलकोट में थीं तो वहाँ कोई स्कूल नहीं था। उनके लाख समझाने के बावजूद क्रिश्चियन मिशनरी वाले स्कूल खोलने को राजी नहीं हुए। उसके बाद लेखिका ने स्वयं एक प्राइमरी स्कूल खोलने की ठानी। कई अन्य लोगों की मदद से उन्हें स्कूल खोलने में सफलता मिल गई।

प्रश्न 7: पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?

उत्तर: हम अक्सर उस इंसान को नजरअंदाज कर देते हैं जो सामान्य तरीके से जीवन जीता है। लेकिन कुछ लोग सामान्य जीवन जीते हुए भी बहुत कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे उनके प्रति हमारी श्रद्धा जग जाती है। इस कहानी में लेखिका ने अपनी नानी, परदादी, माँ और बहनों के बारे में लिखा है। उन औरतों की कुछ खास आदतों की वजह से लेखिका के मन में उनके लिए श्रद्धा है। ऐसा ही हमारे जीवन में भी होता है जब हम किसी की सत्यवादिता, स्पष्टवादिता या किसी खास काम के प्रति धुन के लिए उसका सम्मान करने लगते हैं।

प्रश्न 8: ‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’ – इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर: इस कहानी के आखिर में लेखिका ने लिखा है, “जगह-जगह पानी से लब-लब करते, सुनसान शहर में, निचाट अकेले, अपनी धुन में, मंजिल की तरफ चलते चले जाना। सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।“

मनुष्य एक सामाजिक प्राणि है और इसलिए अकेले नहीं रहता है। लेकिन कुछ व्यक्ति भीड़भाड़ के कोलाहल में इतना अकेलापन ढ़ूँढ़ लेते हैं कि अपने मन की कर सकें। लेखिका की बहन वही करती थीं, जो उन्हें सही लगता था। ऐसा करने में वे अन्य लोगों की बातों को भी अनसुनी कर जाती थीं। स्कूल की बस स्टॉप से उनका अकेले पैदल आना या फिर बारिश के बाद पैदल ही स्कूल चले जाना; इसका उदाहरण है। वह एक ऐसी महिला हैं जो स्वयं पर यकीन रखती हैं। लेखिका ने शादी के बाद अपना सरनेम बदल दिया और ऐसा करने में उन्हें तनिक भी परेशानी नहीं हुई। शादी के बाद उनके पति के साथ संबंध ताउम्र चला क्योंकि उन्हें लगता था कि पति बदलने से कुछ भी नहीं बदलता। उन्हें लगता था कि मनुष्य को इन सबसे ऊपर उठकर सोचना चाहिए और अपनी पसंद के काम पर ध्यान लगाना चाहिए।