नचनिया का
हिंदी अनुवाद
अजय आनंद
बढ़िया, तो अब नाच शुरु होता है। का अब नाचेगा क्योंकि का भूखा है। चुपचाप बैठो और मेरा नाच देखो।
का ने कहा।
वह एक बड़ा सा गोला बनाते हुए दो तीन बार घूमा। इस बीच उसका सिर दाँए-बाँए घूम रहा था। इसके बाद उसने अपने शरीर से कुंडलियाँ बनानी शुरु कर दी। वह कभी गोला बनाता तो कभी त्रिभुज, जो फिर चतुर्भुज बन जाता।
उस नाच में ना तो कोई रुकावट थी ना ही कोई जल्दबाजी। उस नाच में तो गजब की शालीनता थी। साथ में का अपना संगीत भी बजा रहा था। का के शरीर का रंग गहरा और गहरा होता जा रहा था। आखिर में कुंडलियाँ गायब हो गईं, लेकिन उसके शल्कों के सरसराने की आवाज आ रही थी।
बलू और बघीरा तो जैसे पत्थर के हो गए थे। उनके रोंगटे खड़े हो गए थे। मोगली भी पूरे आश्चर्य से उस अनोखे नृत्य को देख रहा था।
तभी का की आवाज गूँजी, बंदर लोगों, क्या तुम मेरे आदेश के बिना अपनी दुम भी हिला सकते हो? बोलो।
ओ का, तुम्हारे आदेश के बिना तो हम अपना रोयाँ भी नहीं हिला सकते।
बढ़िया! चलो अब धीरे-धीरे मेरी ओर कदम बढ़ाओ।
बंदर एक कतार में का की ओर चलने लगे जैसे उनपर कोई जादू छा गया हो। बलू और बघीरा भी उसी ओर चलने लगे।
और नजदीक
का ने फुफकार मारी और वे और आगे बढ़ने लगे।
मोगली ने बलू और बघीरा के शरीर पर हाथ फेरा और उनसे वहाँ से चलने का इशारा किया। दोनों विशाल जानवरों को ऐसा लगा जैसे किसी ने उन्हें नींद से जगा दिया हो।
बघीरा फुसफुसाकर बोला, अपना हाथ मेरे कंधे पर ही रखो। नहीं तो मैं फिर से का के पास चला जाऊँगा।
मोगली ने कहा, अरे यह बूढ़ा अजगर तो जमीन पर केवल गोले बना रहा है। चलो यहाँ से चलते हैं।
फिर वे तीनों एक दीवार में से एक खाली जगह से होकर निकल गये और जंगल की ओर चलने लगे।
बाहर निकल कर बलू एक पेड़ के नीचे खड़ा हुआ और एक गहरी साँस लेकर बोला, अरे बाप रे! अब से मैं कभी भी का से दोस्ती नहीं करूँगा।
फिर उसने अपना पूरा शरीर जोर से हिलाया जैसे अपने ऊपर से जादू के असर को हटा रहा हो।
बघीरा तो डर से काँप रहा था, वह तो हमसे कहीं ज्यादा जानता है। यदि मैं थोड़ी देर और रुकता तो अपने आप ही उसके गले में समा जाता।
बलू ने कहा, इसके पहले कि दोबारा चाँद निकले, कई तो खुद ब खुद उस रास्ते जा चुके होंगे। आज तो उसकी पार्टी होगी।