8 हिंदी दूर्वा


भारत की खोज

जवाहरलाल नेहरू

Part 4

प्रश्न 15: “सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते, उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए।“ ऐसे कौन-कौन से सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं?

उत्तर: जब स्कूल में सफाई अभियान होता है तो मैं उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता हूँ। अपने मुहल्ले में कोई धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है तो मैं उसमे हर संभव हाथ बँटाता हूँ।

प्रश्न 16: महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए ‘हर स्थान पर और हर समय’ हमेशा उपलब्ध हैं। हमारे समय के शासक/लोक-सेवक इस कसौटी पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर: आज के शासक इस कसौटी पर बिलकुल फेल हो जाते हैं। चुनाव के पहले तो वे तरह तरह के वादे करते हैं और अपने आप को जनसेवक बताते हैं। लेकिन एक बार चुनाव जीत जाने के बाद वे प्रजा पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। उनका सारा समय अपने आप को और अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगा रहता है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि राजनेताओं की संपत्ति में हर वर्ष गुणात्मक वृद्धि होती है, लेकिन जनता की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है।

प्रश्न 17: “औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।“ कैसे?

उत्तर: कहा जाता है कि यदि आप औरत को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार और पूरे समाज को शिक्षित करते हैं। ऐसा इसलिए माना जाता है कि वह माँ ही होती है जिससे कोई भी बच्चा जीवन का पहला पाठ सीखता है। औरतों को परदे में रखने से वे समाज से बिलकुल कट गईं। इससे औरतों और बाहरी गतिविधियों के बीच विचारों का आदान प्रदान रुक गया। इस तरह से हमारी आबादी का पचास प्रतिशत हिस्सा सामाजिक विकास में भागीदारी नहीं कर पाया। इसलिए औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक विकास में रुकावट आई।

प्रश्न 18: मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए: (1) अमीर खुसरो (2) कबीर (3) गुरु नानक (4) रहीम

उत्तर: अमीर खुसरो – पहेलियाँ, कबीर – दोहे, गुरु नानक – गुरु ग्रंथ साहिब, रहीम – दोहे

प्रश्न 19: बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे: (क) अभिधा, (ख) लक्षण (ग) व्यंजना। बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?

“यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताय है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता ...... बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।“

उत्तर: जब बात को सीधे-सीधे न कहकर घुमा फिराकर कहा जाता है तो उसे व्यंजना कहते हैं। इस शैली में अपनी बात रखने से फायदा यह होता है कि आपकी बात दूसरे तक पहुँच जाती है और उससे सुनने वाला नाराज भी नहीं होता है। इस शैली में अक्सर व्यंग्य का पुट रहता है जिससे पाठकों को मजा आता है।