किसान और नाग
किसी गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसके पास थोड़ी से जमीन थी जिससे वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पेट पालता था। एक दिन, जब वह अपने खेत में काम कर रहा था तो उसने पास में चींटियों की बाम्बी पर एक भयानक नाग को फन काढ़े देखा। किसान को लगा कि नाग देवता ने उसे साक्षात दर्शन दे दिए। वह किसान पूजा पाठ में विश्वास रखता था और इसलिए उसने उस नाग की पूजा शुरू कर दी। वह जल्दी से अपने घर गया और एक कटोरी में दूध लेकर आया। उसने नाग के सामने दूध का कटोरा रख दिया और फिर अपने काम में लग गया। अगले दिन जब वह फिर से दूध लेकर आया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। पहले से रखे कटोरे में उसे सोने का एक सिक्का मिला। उसने नाग देवता का आशीर्वाद समझकर उस सिक्के को रख लिया। इसके बात यह रोज की बात हो गई। हर दिन वह किसान एक कटोरा दूध चढ़ाता था और बदले में उसे सोने का एक सिक्का मिल जाता था। लगातार मिलने वाले सोने के सिक्कों के कारण जल्दी ही वह अमीर आदमी बन गया।
इस तरह से काफी समय बीत गया। एक दिन किसी जरूरी काम से किसान को पास के शहर जाना पड़ा। उसने नाग और सिक्कों वाली बात अपने बेटे को बताई। उसने अपने बेटे से कहा, "मेरी अनुपस्थिति में तुम रोज नाग देवता को दूध जरूर चढ़ाना। बीच में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।"
लेकिन किसान का बेटा बड़ा लालची था। उसने सोचा कि नाग की बाम्बी में जरूर कोई खजाना छिपा होगा। उसने सोचा कि रोज की मेहनत से अच्छा होगा कि एक ही बार में खजाना हथिया लिया जाए। ऐसा सोचकर वह नाग को मारने के लिए गया। लेकिन नाग ने उसे डस लिया और किसान का बेटा वहीँ ढेर हो गया।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि लालच बुरी बला है।