औरत और नेवला
किसी गाँव में एक औरत के एक लड़का हुआ था। संयोग से उसे नेवले का एक बच्चा भी मिला और वह उसे भी पालने लगी। नेवला उस बच्चे के साथ ही खेलता था। लेकिन वह महिला हमेशा इस बात को लेकर आशंकित रहती थी कि नेवला उसके बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचा दे। वह अपने बच्चे को कभी अकेला नहीं छोड़ती थी। लेकिन एक दिन किसी काम से उसे कहीं जाना पड़ा और बच्चा घर में अकेला रह गया।
जब वह महिला बाहर थी, तब नेवला उस बच्चे का पास ही बैठा रहा। अचानक एक काला नाग उस बच्चे के नजदीक आया। बच्चे को बचाने के लिए नेवले ने नाग से लड़ाई शुरू कर दी। काफी देर लड़ने के बाद नेवले ने उस नाग को मार दिया। जब वह औरत वापस आई तो उसने नेवले के मुंह को खून से सना देखा। यह देखकर उसे तो जैसे पाला मार गया और उसने सोचा कि नेवले ने उसके बच्चे को मार दिया है। बिजली की तेजी से उसने एक पत्थर उठाया और नेवले को मार दिया। उसके बाद जब वह अपने घर के अंदर गई तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था लेकिन अबतक बहुत देर हो चुकी थी।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि किसी परिस्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया करने की बजाय हमें धीरज से काम लेकर उसके कारण और परिणाम का पता लगाना चाहिए।